हृदय रोगों के मामले वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का कारण रहे हैं। विशेषतौर पर कोविड-19 महामारी के बाद हृदय रोग और इससे संबंधित गंभीर जोखिमों का खतरा काफी तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। कम उम्र में ही लोग हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं। यहां तक कि खेलते हुए, जिम के दौरान या पार्टियों में डांस करते हुए भी लोगों में हार्ट अटैक और इसके कारण मौत के मामले देखे गए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के अलावा कुछ अध्ययनों में कोरोना वायरस के दुष्प्रभावों के कारण भी हृदय रोगों पर नकारात्मक असर देखा गया है। सभी उम्र के लोगों को हृदय की सेहत को लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
क्या हृदय रोगों से बचाव किया जा सकता है? इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अगर हम सभी अपनी दिनचर्या को ठीक कर लें तो यह संभव है। इसके अलावा हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने एक ऐसे उपाय के बारे में बताया है जिससे सिर्फ आठ हफ्तों में हृदय की सेहत में बेहतर सुधार हो सकता है। आइए इस बारे में जानते हैं।
डैश डाइट प्लान हृदय की सेहत के लिए फायदेमंद
हार्वर्ड हेल्थ में छपी एक रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने बताया- अगर हम सभी अपने खान-पान को ठीक कर लें तो इससे हृदय की सेहत में विशेष लाभ पाया जा सकता है। डैश डाइट प्लान इसमें आपके लिए काफी मददगार हो सकती है।
डायट्री अप्रोच टू स्टॉप हाइपरटेंशन (डैश डाइट) प्लान को लेकर 500 प्रतिभागियों पर आठ सप्ताह तक किए गए अध्ययन में पाया गया है कि यह आपके हृदय को स्वस्थ रखने में काफी लाभकारी उपाय हो सकता है। इन प्रतिभागियों पर तीन अलग-अलग प्रकार के डाइट प्लान को लेकर अध्ययन किया गया जिसमें डैश डाइट को सबसे फायदेमंद पाया गया है।
अध्ययन में क्या पाया गया?
केवल दो सप्ताह के बाद ही, डैश डाइट के माध्यम से अधिक फल और सब्जियों के सेवन के साथ आहार में कुछ अन्य चीजों को शामिल करने से रक्तचाप को काफी सुधार आया। इसके अलावा, अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को पहले से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत थी, उनमें डैश डाइट के कारण सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर में 11.4 अंक और डायस्टोलिक में 5.5 प्वाइंट की गिरावट आई है। मूलरूप से, डैश डाइट, रक्तचाप की कई दवाओं की तुलना में अधिक प्रभावी था।
हृदय से संबंधित जोखिमों में भी हुआ लाभ
हृदय संबंधी लाभों के बारे में अधिक जानने के शोधकर्ताओं ने आंकड़ों पर दोबारा अध्ययन किया। इस बार तीनों प्रकार के डाइट प्लान का सेवन करने वाले प्रतिभागियों के ब्लड सैंपल का उपयोग करके परीक्षण में हृदय पर तनाव, हार्ट मसल इंजरी और शरीर में इंफ्लामेशन के जोखिमों का भी पता लगाने की कोशिश की गई। टीम ने पाया कि केवल आठ सप्ताह के बाद, डैश डाइट ने हृदय पर तनाव और हृदय की मांसपेशियों में इंजरी के जोखिमों को भी काफी कम कर दिया।
शरीर के इंफ्लामेश का स्तर बहुत अलग तो नहीं था, लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि स्वस्थ आहार के माध्यम से सूजन में भी कमी आ सकती है।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
शोधकर्ता कहते हैं, स्वस्थ आहार और जीवनशैली से वजन और ब्लड प्रेशर दोनों कम होता है, जो हृदय के लिए बहुत अच्छा है। डैश डाइट प्लान को पहले के अध्ययनों में भी शरीर के लिए कई प्रकार से लाभकारी पाया गया है। पर यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जरूरी नहीं है कि सभी लोगों के लिए यह डाइट प्लान फायदेमंद ही हो। इसलिए बिना सेहत की जांच और डॉक्टरी सलाह के किसी भी डाइट प्लान को प्रयोग में न लाएं।
बवासीर में मरीज के गुदा के अंदर और बाहर सूजन और मस्से हो जाते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रोगी को बहुत अधिक तकलीफ होती है। प्रायः ऐसा देखा जाता है कि बवासीर के लक्षणों का पता चलते ही रोगी बीमारी का इलाज कराने की कोशिश करता है, और डॉक्टर के बताए अनुसार, दवाओं का सेवन भी करता है, लेकिन इसके बाद भी कई बार बवासीर का पूरा उपचार नहीं हो पाता है। इससे नौबत ऑपरेशन तक पहुंच जाती है। दरअसल बवासीर जैसी बीमारी में रोगी को दवाओं के साथ-साथ अपने खान-पान पर भी बहुत अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। इसलिए यहां बवासीर के लिए डाइट चार्ट की जानकारी दी जा रही है।
बवासीर की बीमारी में क्या खाएं (Your Diet During Piles or Hemorrhoids Disease)
बवासीर से पीड़ित होने पर आपका आहार ऐसा होना चाहिएः-
बवासीर के इलाज के लिए आपका डाइट प्लान (Diet Plan for Piles or Hemorrhoids Treatment)
बवासीर का इलाज करने के लिए सुबह उठकर दांतों को साफ करने (बिना कुल्ला किये) से पहले खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी पिएं। नाश्ते से पहले पतंजलि आवंला व एलोवेरा रस पिएं। इसके साथ ही इन बातों पालन करें।
हल्दी एक जड़ी-बूटी है। इसका इस्तेमाल मसालों के रुप में प्रमुखता से किया जाता है। हिंदू धर्म में पूजा में या कोई भी शुभ काम करते समय हल्दी का उपयोग किया जाता है। खाने के अलावा कई तरह की बीमारियों से बचाव में भी हल्दी का उपयोग होता है। इस समय पूरी दुनिया में हल्दी के गुणों पर रिसर्च चल रहे हैं और कई रिसर्च आयुर्वेद में बताए गुणों कि पुष्टि करते हैं।
हल्दी की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित चार प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
Curcuma longa : हल्दी की इस प्रजाति का उपयोग मुख्य रुप से मसालों और औषधियों के रूप में किया जाता है। इसके पौधे 60-90 सेमी तक ऊँचें होते हैं। इस हल्दी का रंग अंदर से लाल या पीला होता है। यही वह हल्दी है जिसका उपयोग हम अपने घरों में सब्जी बनाने में करते हैं।
Curcuma aromatica: इसे जंगली हल्दी कहते हैं।
Curcuma amada: इस हल्दी के कन्द और पत्तों में कपूर और आम जैसी महक होती है। इसी वजह से इसे आमाहल्दी (Mangoginger) कहा जाता है।
Curcuma caesia:-इसे काली हल्दी कहते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस हल्दी में चमत्कारिक गुण होते हैं। इस हल्दी का उपयोग ज्योतिष और तंत्र विद्या में ज्यादा होता है।
हल्दी के फायदे और सेवन का तरीका (Haldi benefits in Hindi and uses)
1.) चोट का घाव भरने में
अगर आपको छोटी मोटी चोट लग गई है तो उस जगह पर तुरंत हल्दी लगा ले। इससे चोट पर बहने वाला खून रुक जाता है और घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है। हल्दी में घाव को जल्दी भरने के गुण होते है। यह चोट की जलन और दर्द को भी कम करने में मददगार है।
2.) हाथ-पैर में दर्द मिटाए
हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुण हाथ पैरों का दर्द मिटा देते है। कभी कभी हाथ-पैरों में दर्द होने लगता है ऐसा अक्सर ठंड के मौसम में ज्यादा होता है। तो ऐसे में आपको हल्दी का सेवन करना चाहिए आप गर्म दूध में हल्दी मिलाकर भी पी सकते है।
3.) रक्त शोधन
हल्दी रक्त शोधन करने वाली होती है। रोजाना हल्दी खाने से रक्त में पाए जाने वाले विषैले तत्व शरीर से बाहर निकलते है। जिससे रक्त का बहाव भी अच्छे से होता है। रक्त पतला होने पर धमनियों में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। इससे हृदय संबंधी समस्याएं भी नहीं होती।
4.) हड्डियाँ मजबूत
हल्दी वाला दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती है। दूध में कैल्शियम होता है जिससे शरीर मजबूत बनता है और हल्दी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते है। जो हड्डी से संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करते है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या भी कम होती है।
5.) कैंसर जैसी बिमारी में लाभदायक / कैंसर से बचाए
कच्ची हल्दी में करक्यूमिन तत्व पाए जाते है जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को बढ़ने से रोकते है। कच्ची हल्दी में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते है। कच्ची हल्दी पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर को कम करने में सहायक होती है। इस बात पर ध्यान देना जरुरी है की कच्ची हल्दी से कैंसरहोने की संभावना कम हो जाती है लेकिन इसे कैंसर का इलाज नहीं कह सकते।
6.) पाचन तंत्र को मजबूत बनाये
पाचन संबंधित समस्या होने पर कच्ची हल्दी खाना चाहिए हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन पेट और पाचन की परेशानियों को ठीक करता है। करक्यूमिन में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते है जिससे पाचन में सुधार होता है। डायरिया, अपच, गैस होने पर कच्ची हल्दी को पानी में उबाले और इसे पिएं।
7.) लिवर रहे स्वस्थ
लिवर से संबंधित समस्या में कच्ची हल्दी फायदेमंद रहती है। कच्ची हल्दी का अचार, चटनी या किसी ना किसी रूप में सेवन जरूर करे। फैटी लिवर डिजीज, लिवर की विषाक्तता, लिवर सिरोसिस की बिमारियों में कच्ची हल्दी का सेवन करना लाभदायक होता है। लिवर से जुड़ी बीमारी के मरीजों को हल्दी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर लेना चाहिए।
8.) अर्थराइटिस पेन
अर्थराइटिस की समस्या या जोड़ों में दर्द की समस्या है तो इससे निजात पाने के लिए हल्दी का सेवन करे। हल्दी का सत का सेवन करने से अर्थराइटिस के लक्षणों में जैसे: दर्द, सूजन को कम करने में मदद करता है। शरीर में किसी जगह पर दर्द या सूजन है तो हल्दी का लेप लगाने से आराम मिलता है।
9.) पायरिया में
पायरिया होने पर हल्दी में सरसों का तेल मिलाकर मसूड़ों पर मालिश करने से लाभ मिलता है। मसूड़ों पर मालिश करने के बाद गर्म पानी से कुल्ला करे आपको फायदा होगा।
10.) मुँह के छाले
पाचन क्रिया खराब होने की वजह से मुँह में छाले हो जाते है। हल्दी में उष्ण गुण होते है। जिससे पाचकाग्नि को ठीक करने में मदद मिलती है। हल्दी मुँह के छालों को जल्द ही ठीक कर देती है।
11.) चेहरे पर चमक/ग्लो
चेहरे की रंगत निखारने में हल्दी का सालों से प्रयोग किया जाता रहा है। हल्दी चेहरे की रंगत को बढ़ा देती है और चेहरे के कील मुहाँसे, दाग - धब्बों को कम कर देती है। हल्दी को अपने उबटन में मिलाकर लगाएं।
12.) सर में फुंसियाँ
सिर में फुंसियां होने पर हल्दी और त्रिफला, नीम और चन्दन को पीसकर सिर पर मालिश करें।
13.) हल्दी दूध के फायदे
बहुत से लोगों को हल्दी का दूध शायद अच्छा नहीं लगता होगा लेकिन जब आप हल्दी का दूध पीने के फायदे जान जाएंगे तो आप भी इसे पीने पर मजबूर हो जाएंगे।
14.) सर्दी-जुकाम से छुटकारा
अगर सर्दी-जुकाम हो गया है तो हल्दी वाला दूध पीना चाहिए। रात को सोने के पहले एक ग्लास दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं। ठंड के दिनों में हल्दी दूध बहुत फायदेमंद होता है। यह गले में जम रहे कफ को भी बाहर निकालने में मदद करता है।
15.) अच्छी नींद में मददगार
बहुत से लोगों को रात में नींद नहीं आती है। रात में नींद पूरी नहीं होने के कारण इंसान के दिमाग पर बुरा असर होता है। हल्दी वाला दूध पीने से नींद नहीं आने की समस्या दूर हो जाती है। इसलिए रात में दूध में हल्दी मिलाकर पीकर सोएं।
16.) ब्लड शुगर में लाभदायक
ब्लड में जब शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है तो डायबिटीज की बीमारी हो जाती है। हल्दी वाले दूध का सेवन करने से शुगर लेवल कम होता है। लेकिन ज्यादा सेवन करने से रक्त में शुगर की निर्धारित मात्रा में कमी हो जाती है।
17.) पेट का अल्सर
हल्दी में हीलिंग गुण होते है जो पेट के अल्सर को ठीक करती है। खराब पाचन भी पेट में अल्सर की समस्या का कारण बनता है। इसके लिए हल्दी वाला दूध पिएं।
आखिर हल्दी का उपयोग कैसे करें ?
हल्दी का सेवन करने के लिए आप इसके सप्लीमेंट्स भी ले सकते है या इसे मसाले के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।
करक्यूमिन, सप्लीमेंट्स के रूप में बेहतरीन है। अगर आप इसे मसाले के रूप में खाना चाहते है तो इसे बहुत सी तरह से प्रयोग कर सकते है।
आपको सप्लीमेंट्स नहीं लेना है तो हल्दी को खाना पकाने में इस्तेमाल कर सकते है।
भुनी हुई सब्जियां
तले हुए अंडे
स्मूदी
हल्दी दूध
सूप
चावल
आप अपने व्यंजनों में हल्दी का उपयोग कर सकते हैं।
हल्दी का सामान्य खुराक
सामान्यतः १ से २ ग्राम हल्दी का रोज सेवन कर सकते है। यदि आप किसी बीमारी में हल्दी का उपयोग कर रहे है तो पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
हल्दी के नुकसान (Side Effects of Haldi)
हल्दी और करक्यूमिन का सेवन करना फायदेमंद ही होता है लेकिन यह कुछ मामलों में नुकसानदायक भी हो सकती है। ज्यादा मात्रा में हल्दी लेने से संभावित जोखिम हो सकते है।
बहुत से हल्दी पाउडर में सीसा की उच्च मात्रा होती है। जो की एक भारी धातु है और विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र के लिए विषाक्त है।
हल्दी में २% ऑक्सालेट होता है। इसकी ज्यादा खुराक से पूर्वनिर्धारित व्यक्तियों में गुर्दे की पथरी का खतरा बढ़ सकता है।
गेहूं, जौ या राई के आटे वाली हल्दी का सेवन करने से ग्लूटेन असहिष्णुता या सीलिएक रोग वाले लोगों में प्रतिकूल लक्षण दिखाई दे सकते है।
सभी हल्दी पाउडर शुद्ध नहीं होते हैं। कुछ सस्ते होते है और कुछ जहरीले तत्वों के साथ मिलावटी होते हैं जिसमें मिलावट होती है। इस तरह की मिलावटी हल्दी वाला दूध पीने से स्वास्थ्य पर खतरा हो सकता है। तो हल्दी वाला दूध के नुकसान से बचने के लिए सही हल्दी का चुनाव करे।
अगर हल्दी में मेटानिल येलो मिला हुआ हो तो यह स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है इसे एसिड येलो भी कहते है। इसका ज्यादा मात्रा में सेवन करने से मेटानिल पीला कैंसर और तंत्रिका संबंधी क्षति हो सकती है।
निष्कर्ष
हल्दी दूध के फायदे और नुकसान आपने जाने। आप भी हल्दी का सेवन करके इन फायदों को प्राप्त कर सकते है। हल्दी बहुत ही गुणकारी औषधि है जो कई तरह के रोगों से बचाती है। इसलिए प्राचीन समय से हल्दी का बहुत सो चीजों में प्रयोग किया जाता रहा है।
किडनी स्टोन (गुर्दे की पथरी) एक आम स्वास्थ्य समस्या है जिसमें गुर्दे में पथरी या रुई के समान मस्तिष्क मौजूद होती हैं। इसके कारण यूरीन (मूत्र) प्रणाली में दर्द और समस्याएं हो सकती हैं।
किडनी स्टोन ट्रीटमेंट की प्रक्रिया निर्भर करेगी कि किस तरह की पथरी है, इसका आकार, स्थान और योग्यता क्या है। यह आपके चिकित्सा इतिहास, लक्षणों और उपचार के विभिन्न पहलुओं के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
किडनी स्टोन ट्रीटमेंट के लिए निम्नलिखित तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है:
दवाओं का उपयोग: छोटे किडनी स्टोन्स को दवाइयों के द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है। आपके डॉक्टर आपको उचित दवाओं की सलाह देंगे जो पथरी को छोटा करने और निकालने में मदद करेंगी।
लेजर ट्रीटमेंट: बड़े या अप्रभावी दवाओं वाले किडनी स्टोन्स को लेजर से टूटा जा सकता है। इस प्रक्रिया में, एक लेजर यूरेटरोस्कोप (एक उपकरण) के माध्यम से
Symptoms, Causes and Home Remedies for Fatty Liver
अगर सबसे पहले समझते हैं कि फैटी लीवर क्या है। लीवर की कोशिकाओं में अधिक मात्रा में फैट जमा हो जाता है। लीवर में वसा की कुछ मात्रा का होना तो सामान्य बात है लेकिन फैटी लीवर बीमारी व्यक्ति को तब होती है, जब वसा की मात्रा लीवर के भार से दस प्रतिशत अधिक हो जाती है। ऐसी स्थिति में लीवर सामान्य रूप से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है तथा अनेक लक्षणों को उत्पन्न करता है। इसके बाद फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ayurvedic ilaj) कराने की जरूरत पड़ती है।
सामान्यत इसके लक्षण (fatty liver ke lakshan)देर में देखने को मिलते है लेकिन लम्बे समय तक लीवर में अधिक वसा का जमा होना नुकसानदायक बन जाता है। आम तौर पर 40-60 वर्ष की आयु में यह देखने को मिलता है। आयुर्वेद में लीवर (fatty liver in hindi) का संबंध पित्त से बताया गया है यानि पित्त के दूषित होने पर लीवर रोग ग्रस्त हो जाता है एवं भलीभाँति अपना कार्य नहीं कर पाता।
दूषित पित्त ही फैटी लीवर जैसे रोगों को जन्म देता है। अनुचित खान-पान से लीवर में विषाक्त तत्व जमा होने लगते है जिस कारण लीवर को सामान्य से अधिक कार्य करना पड़ता है। जिसके कारण लीवर में सूजन आ जाती है जो फैटी लीवर का उपचार कराने की जरूरत पड़ जाती है।
फैटी लीवर दो प्रकार के होते हैं-
1- एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज (AlcoholicFattyLiverdisease)-शराब का अत्यधिक सेवन करने वालों में होता है। एल्कोहॉल का अधिक सेवन लीवर पर फैट जमा होने का एक कारण है। शराब का ज्यादा सेवन करने से लीवर में सूजन आ सकती है तथा लीवर क्षतिग्रस्त हो सकती है।
2- नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज (Non-AlcoholicFattyliverdisease or NAFLD)-उच्च वसायुक्त भोजन एवं अनुचित जीवनशैली के कारण व्यक्ति में मोटापे एवं डायबिटीज की समस्या होने लगती है जो कि फैटी लीवर होने में बड़े कारण है। शराब न लेने पर भी इन स्थितियों में फैटी लीवर होने की पूरी संभावना है।
फैटी लीवर होने पर अन्य रोग होने की संभावना भी होती है। नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज के चार चरण होते हैं।
सामान्य फैटी लीवर और स्टियाटोसिस (Normal fatty liver and steatosis)-इस चरण में लीवर में वसा का जमा होना शुरू हो जाता है किन्तु किसी भी तरह की सूजन नहीं होती। इस अवस्था में किसी भी तरह के लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) दिखाई नहीं देते तथा केवल उचित आहार के सेवन से यह ठीक हो जाता है।
नॉन-एल्कोहलिक स्टियाटोहेपाटाइटिस (Non-alcoholicsteatohepatitis)-इस अवस्था में वसा जमे हुए लीवर में सूजन आना शुरू हो जाती है। लीवर में जब सूजन आ जाता है तब वह क्षतिग्रस्त ऊतकों या टिशु को ठीक करने की कोशिश करते है, जितने ज्यादा टिशु वहाँ पर क्षतिग्रस्त होते है, लीवर उतनी तेजी से उनको ठीक करने की कोशिश करता है और इस प्रकार सूजन वाले टिशुओं में घाव हो जाती है। इस अवस्था में जब घाव वाले टिशु वहाँ पर विकसित होने लगते है तब फिब्रोसिस होने की अवस्था आती है।
फिबरोसिस (Fibrosis)-यह तब होता है जब लीवर और उसके आस-पास के ब्लड सेल्स या रक्तवाहिकाओं में स्थायी रूप से घाव वाले ऊतक या टिशुएं बनने लगते हैं। इस अवस्था में लीवर कुछ हद तक सामान्य रूप से कार्य करता रहता है। इस समय उपचार करने पर लीवर में आगे की क्षति होने से रोका जा सकता है और जो क्षति हुई है वह सामान्य अवस्था में आ सकती है। हालांकि समय के साथ ये घाव वाले ऊतकों के जगह स्वस्थ ऊतक बन जाते है। इस कारण से लीवर का कार्य प्रभावित होता है तथा सिरोसिस हो सकता है।
सिरोसिस (Cirrhosis)-इस अवस्था में लीवर सामान्य रूप से कार्य करना बंद कर देता है तथा त्वचा एवं आँखों का पीलापन जैसे लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) दिखने लगते है। इस समय लीवर में बने जिन ऊतकों में घाव हो जाता है उनको हटाना मुश्किल हो जाता है। ज्यादातर लोगों में सामान्य फैटी लीवर (steatosis) ही पाया जाता है जो कि आहार योजना में बदलाव करके सामान्य अवस्था में लाया जा सकता है, फिबरोसिस तथा सिरोसिस को विकसित होने में 3-4 वर्ष लगते है।
फैटी लीवर होने के कारण (Causes of Fatty liver in Hindi)
आपको फैटी लीवर का इलाज (fatty liver ka ilaj) करना है फैटी लीवर होने कारण का पता होना जरूरी है। इसलिए फैटी लीवर को होने से रोकने के लिए सबसे पहले आम कारणों के जान लेना जरूरी है जिससे वयस्कों के साथ बच्चों में होने के संभावनाओं को रोका जा सकता है, साथ ही घरेलू उपायों को शारीरिक अवस्था को संभाला जा सकता है। फैटी लीवर होने के आम कारण निम्नलिखित है-
अत्यधिक शराब पीना
आनुवांशिकता
मोटापा
फैटी फूड और मसालेदार खाने का सेवन
रक्त में वसा का स्तर ज्यादा होना
मधुमेह या डायबिटीज
स्टेरॉयड, एस्पिरीन या ट्रेटासिलीन जैसी दवाइयों का लम्बे समय तक सेवन
पीने के पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा
वायरल हेपाटाइटिस
फैटी लीवर के लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi)
इसी तरह अगर आपको फैटी लीवर का उपचार करना है तो फैटी लीवर के लक्षणों को शुरुआती अवस्था में समझना होगा। हालांकि यह मुश्किल होता है क्योंकि बहुत कम लोगों को फैटी लीवर के लक्षणों (fatty liver ke lakshan)के बारे में पता होता है इसलिए शारीरिक अवस्था बहुत ज्यादा खराब हो जाने के बाद बीमारी का पता चलता है। चलिये कुछ आम लक्षणों के बारे में पता लगाते हैं-
पेट के दाएँ भाग के ऊपरी हिस्से में दर्द
वजन में गिरावट
कमजोरी महसूस करना
आँखों और त्वचा में पीलापन दिखाई देना
भोजन सही प्रकार से हजम नहीं होना जिसके कारण एसिडिटी का होना
पेट में सूजन होना
बच्चों में फैटी लीवर-बच्चों में फैटी लीवर बहुत कम देखा जाता है। इनमें नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज के कोई विशिष्ट लक्षण नहीं देखे जाते है परन्तु यह मोटापे से ग्रस्त बच्चों में या जिनमें जन्म से ही चयापचय विकार (Metabolicdisorder) पाया जाता है। जंक फूड, चॉकलेट, चिप्स का अधिक सेवन तथा शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण ये समस्या आजकल बच्चों में बढ़ रही है। सबसे पहले आप कोशिश करें कि बच्चे इस बीमारी से ग्रस्त ना हो, लेकिन अगर ऐसी स्थिति आ गई तो आप फैटी लीवर का इलाज करने के लिए इन लक्षणों की पहचान कर सकते हैं।
बच्चों में यह लक्षण (Fatty Liver Symptoms in Hindi) पाए जा सकते है-
थकावट होना
पेट दर्द
रक्त में लीवर एन्जाइम्स का बढ़ा हुआ स्तर पाया जाना
फैटी लीवर से बचने के उपाय (How to Prevent Fatty liver in Hindi)
आयुर्वेदीय केवल औषधियों से ही नहीं उचित आहार एवं जीवनशैली से भी रोग शान्त करता है। आयुर्वेद शरीर में उपस्थित तीन दोष वात, पित्त एवं कफ के सिद्धान्त पर काम करता है। फैटी लिवर में क्या खाना चाहिए इस बात पर उपचार का प्रभाव निर्भर करता है। आयुर्वेदीय उपचार प्राकृतिक रूप से असंतुलित दोषों को सामान्य अवस्था में लेकर आता है। यह एलौपैथिक दवाओं की तरह लक्षणों को कुछ समय के लिए दबाता नहीं अपितु विषाक्त तत्वों को शरीर से बाहर कर तथा दोषों को संतुलित कर रोग को जड़ से मिटाता है। परंतु आयुर्वेदीय उपचार के समय रोगी को उचित जीवनशैली एवं निर्दिष्ट आहार-विहार का ही सेवन करना चाहिए नहीं तो उसे चिकित्सा का लाभ नहीं मिल सकता। उचित खान-पान एवं दिनचर्या आयुर्वेदीय उपचार का हिस्सा है।
आयुर्वेद में वर्णित शोधन चिकित्सा द्वारा फैटी लीवर का इलाज (Fatty Liver Treatment) किया जा सकता है। फैटी लीवर पित्त की विकृति से उत्पन्न विकार है ,अत: इसमें विरेचन कराया जाता है, विरेचन द्वारा पित्त का शमन होता है तथा विषाक्त तत्व शरीर से बाहर निकल जाते है। शरद् ऋतु में पित्त का प्रकोप हेने के कारण यह विरेचन के लिए उचित समय बताया गया है तथा वय के अनुसार 30-50 वर्ष भी पित्त का काल कहा गया है। अत: इस समय फैटी लीवर होने की सम्भावना रहती है। यदि फैटी लीवर के रोगी को 2-3 बार शरद् ऋतु में विरेचन कराया जाए तो फैटी लीवर का उपचार हो जाएगा मतलब लीवर अपनी पहली वाली स्थिति में आ जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को ऋतु के अनुसार पंचकर्म कराना चाहिये।
फैटी लीवर के इलाज के दौरान खानपान और जीवनशैली में लाएं ये बदलाव
-ताजे फल एवं सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।
-अधिक फाइबर युक्त आहार का सेवन करें, जैसे फलियाँ और साबुत अनाज।
-अधिक नमक,ट्रांसफैट, रिफाइन्ड कार्बोहाइड्रेट्स तथा सफेद चीनी का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें।
– एल्कोहल या शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
-भोजन में लहसुन को शामिल करें यह फैट जमा होने से रोकता है।
-ग्रीन टी का सेवन करें। शोध के अनुसार लीवर में जमा फैट को कम करती है तथा लीवर के कार्यकलापको सुधारती है।
-तले-भुने एवं जंक फूड का सेवन सर्वथा त्याग दें।
-इन सब्जियों का प्रयोग ज्यादा करें जैसे पालक,ब्रोक्ली, करेला, लौकी, टिण्डा, तोरी, गाजर, चुकंदर, प्याज, अदरक तथा अंकुरित अनाज खाएँ।
-राजमा, सफेद चना, काली दाल इन सब का सेवन बहुत कम करना चाहिए तथा हरी मूंग दाल और मसूर दाल का सेवन करना चाहिए।
-मक्खन, मेयोनीज, चिप्स, केक, पिज्जा, मिठाई, चीनी इनका उपयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
-नियमित रूप से प्राणायाम करें तथा सुबह टहलने जाएँ।
बच्चों में फैटी लीवर होने की संभावना को कम करने के उपाय
-बच्चों को मीठा खाना कम दें।
-रेशेदार फल एवं सब्जियों का सेवन करें।
-शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएँ एवं नियमित रूप से व्यायाम करें।
फैटी लीवर का उपचार करने के लिए घरेलू नुस्खे (Home remedies For Fatty liver Treatment)
फैटी लीवर से राहत पाने के लिए आयुर्वेद के अनुसार कुछ घरेलू नुस्ख़े (fatty liver home remedy in hindi)अपना सकते हैं। जो समय के साथ लीवर के सूजन (liver ki sujan)को कम करके शारीरिक अवस्था को बेहतर बना सकते हैं।
सूखे आंवला का चूर्ण करता है फैटी लीवर का इलाज (Dry Amla Powder : Treatment for Fatty Liver in Hindi)
-4 ग्राम सूखे आँवले का चूर्ण पानी के साथ दिन में तीन बार लेने से 20-25 दिनों में लीवर के रोगों में आराम मिलता है।
-आँवला में भरपूर मात्रा में एन्टी-ऑक्सिडेंट और विटामिन सी होता है जो लीवर की कार्यप्रणाली को ठीक करता है। आँवला का सेवन करने से लीवर से हानिकारक विषाक्त तत्व निकल जाते है। इसके लिए रोजाना 3-4 कच्चे आँवला का सेवन करें। फैटी लीवर के उपचार के लिए सूखे आंवला का इस्तेमाल इस तरह से करने पर जल्दी राहत मिलता है।
छांछ के सेवन से होता है फैटी लीवर का उपचार(Buttermilk Beneficial in Fatty Liver in Hindi)
दोपहर के भोजन में छाछ लें, इसमें हींग, नमक, जीरा और काली मिर्च मिलाकर पिएँ। फैटी लिवर के आयुर्वेदिक इलाज (fatty liver ayurvedic treatment hindi)के लिए छाछ का सेवन लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
ग्रीन टी पीने से होगा फैटी लीवर का इलाज (Benefit of Green Tea to Treat Fatty Liver in Hindi)
ग्रीन टी में एन्टीऑक्सिडेंट्स होते है, यह लीवर को सही तरीके से कार्य करने एवं लीवर फैट से छुटकारा दिलाने में मदद करते है। फैटी लिवर को ठीक करने के उपाय के रूप में ग्रीन टी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।
नींबू और संतरे से होगा फैटी लीवर का इलाज (Lemon and Orange Juice Benefits for Fatty Liver in Hindi)
विटामीन सी को अपने आहार में शामिल करें। बेहतर परिणाम के लिए खाली पेट नींबू एवं सन्तरे का जूस पिएँ।
करेले का जूस करता है फैटी लीवर का उपचार (Bitter Gourd Treats Fatty Liver in Hindi)
करेले का सेवन करने से आप फैटी लीवर की समस्या से बच सकते है। करेला में पाये जाने वाले विशेष प्रकार के तत्व फैटी लीवर की समस्या होने से रोकने में मदद करते है। यदि आप फैटी लीवर की समस्या से पीड़ित हैं तो अपनी डाइट में करेले की सब्जी और जूस का सेवन बढ़ा दें। इनके सेवन से कुछ ही दिनों में लक्षणों में कमी आने लगती है।
मिल्क थिसल हर्ब के इस्तेमाल से फैटी लीवर का इलाज (Milk Thistle Good for Fatty Liver in Hindi)
मिल्क थिसल का उपयोग फैटी लीवर की समस्या में आपको फायदेमंद हो सकता है क्योंकि मिल्क थिस्ल में हेपटो प्रोटेक्टिव का गुण पाया जाता है जो की फैटी लीवर की समस्या के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
फैटी लीवर का इलाज करने के लिए करें सेब के सिरका का इस्तेमाल(Apple Cider Vinegar Beneficial in Fatty Liver in Hindi)
एप्पल साइडर विनेगर फैटी लीवर में बहुत फायदेमन्द होता है। यह लीवर में जमे फैट को कम करने में मदद करता है।
फैटी लीवर के उपचार करने के लिए जामुन का प्रयोग (Jambolan Benefit in Fatty Liver in Hindi)
200-300 ग्राम पके हुए जामुन हर रोज खाली पेट खाएँ। यह फैटी लीवर का उपचार करने में बहुत ही फायदेमंद होता है।
टमाटर के सेवन से फैटी लीवर का इलाज (Raw Tomato Benefit to Get Relief from Fatty Liver in Hindi)
कच्चे टमाटर का सेवन फैटी लीवर को स्वस्थ करने में मदद करता है।
फैटी लीवर के इलाज में लाभकारी है हल्दी (Benefits of Turmeric in Treatment of Fatty Liver in Hindi)
हल्दी का उपयोग लगभग सभी घरों में एक मसाले के रूप में होता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हल्दी, फैटी लीवर के इलाज में भी उपयोगी है। लीवर संबधी समस्या में हल्दी का उपयोग करने से इसका हेपटो प्रोटेक्टिव गुण लीवर की क्रियाशीलता को बनाये रखने में मदद करता है।
नारियल का पानी फैटी लीवर को रोकने में लाभदायक (Cocunut Water Helps in Treatment of Fatty Liver in Hindi)
फैटी लीवर की समस्या से आप यदि परेशान है तो आप नारियल का पानी लेना शुरू कर सकते हैं। नारियल पानी में एंटी ऑक्सीडेंट और हेपेटो प्रोटेक्टिव की क्रियाशीलता पायी जाती है जो कि फैटी लीवर की समस्या में आराम पहुंचाती है।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए (When to Contact a Doctor?)
अब तक आपको फैटी लीवर होने के कारण, फैटी लीवर के लक्षणों (Fatty Liver Symptoms in Hindi) की जानकारी हो चुकी है। इसलिए फैटी लीवर के लक्षण नजर आने लगे तो बिना देर किये डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। इससे आप समय पर फैटी लीवर का उपचार करा पाएंगे और फिर से स्वस्थ हो पाएंगे।